आप भी आविष्कार कर सकते है !
"आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है" ये कहावत तो लगभग हम सबने सुनी है। सच्चाई ये भी है, की हर अविष्कार के पीछे हमेशा आवश्यकता ही नहीं बल्कि विचार होते है। हर अविष्कार विचारो की एक श्रृंखला (The Chain of Thought) से उत्पन्न होते है, बात सुनने में तो बहुत छोटी है पर इसका गूढ़ बहुत गहरा है। पहले वैज्ञानिक गैलीलियो गैलीलि ने गुरुत्वाकर्षण के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किया की "कोई भी पिंड जब ऊपर से गिरता है तब वह एक नियत त्वरण से पृथ्वी की ओर आता है।" और इसी विचार की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए वैज्ञानिक आइज़क न्यूटन ने अपने विचार को शोध के रूप में दुनिया के सामने रखा की "केवल पृथ्वी ही नहीं, अपितु विश्व का प्रत्येक कण प्रत्येक दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है।" ऐसे ही हर खोज के पीछे विचारो की एक श्रृंखला कार्य करती है अब भी कोई नई कड़ी गुरुत्वाकर्षण के इस श्रृंखला में जुड़ सकती है क्योकि कई विचारवंत शोधक इस दिशा में काम कर रहे हैं। आविष्कार करने के लिए एक सोच की आवश्यकता होती है। दाढ़ी बनाने के लिए पहले उस्तरे की खोज हुई फिर आया साधारण ब्लेड उसके बाद दो मुँहे ब्लेड अब ट्रिमर भी दाढ़ी बनाने का काम कर रहा है, सबसे पहले उस्तरे जैसे किसी वस्तु को बनाने का विचार संसार में आया फिर उस्तरा बनाया गया और ऐसे ही बारिस के छाता फिर रेनकोट, सब्जी कटाने को छुरी फिर कटर, मिक्सर, बैठने को कुर्सी फिर सोफ़ा आदि -आदि विचार आते गए और अविष्कार होते गए।
संसार में मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो सोच सकता है और जिसकी सोच से अविष्कार होते है। ऊपर मैंने केवल दो ही उदाहरण दिए है किंतु अभी भी दुनिया में हज़ारो लाखों चीजे है जहाँ नित नए अविष्कारों को स्थान है। किसी ज़माने में लोग विचार करते थे की बिना तार की वस्तु से बात करना संभव हो सकता है और सन १९७३ में मोबाइल का अविष्कार हुआ। पिछले दो दशक में मोबाइल फोन और उसकी तकनीक में ज़मीन आसमान का अंतर आ गया। पूर्ण एकाग्र चित्त हो कर विचार करने से ज्ञात होगा की अभी और कई चीजों का अविष्कार होना बाकी है जैसे की अभी लोग लगे है की पानी से कार कैसे चलाई जाय, प्रदुषण को रोकने के कारगर उपाय इत्यादि। अपनी सोच को व्यापक करे विचार आने दे, बस आपके विचारो की ताकत ही एक नए अविष्कार को जन्म देगी।


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