Friday, 25 May 2018

चल कहीं दूर निकल जाये !!!! - पर्यटन.... Travelling, Tourism and Holiday is the way of new life


                             घुमक्क्ड़ी 

                                बंधी नियमित जिदंगी से होती है सबको घुटन
                                 इससे मन बहलाव के हित जरूरी है पर्यटन
                                                                                             -प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव



          छुट्टी मानाने की कोई उम्र नहीं होती। रोजमर्रा के काम से मन विरक्त होने पर फिर से रिचार्ज होने का सबसे बेहतरीन उपाय है पर्यटन, घूमना , कहीं दूर निकल जाना। वर्तमान दुनिया के चकाचौंध और व्यस्त परिवेश में एक समय ऐसा आता है जब किसी काम में मन नहीं लगता, लाइफ में बोरियत हावी हो जाती है। तब हमें कुछ नया करने का मन करता है।  आज हम और आप अपने में इतने व्यस्त हो गए हैं की समय कैसे निकलता जा रहा है पता ही नहीं चलता। कुछ तो हमें हमारे काम ने जकड़ रखा और बचे हुए समय को हमारे मोबाइल और टेलीविज़न ने चुरा लिया है यु कहे की अब हमें हमारे और अपने परिवार लिए वक्त नहीं। बच्चे भी साल भर स्कूल, टूशन और तरह तरह की कोचिंग से और बचे हुए समय में मोबाइल और टेलीविज़न से इतने व्यस्त हो जाते है की उन्हें कभी शारीरिक खेलो का समय नहीं मिलता। महिलाओ का तो क्या पूछना गृहिणी हो या कामकाजी, सुबह सबसे पहले उठ कर सबके टिफ़िन से लेकर रात के बर्तन माँजने तक उनकी व्यस्त का क्या कहना, और हाँ कुछ बचे हुए समय में सास - बहु के सीरियल और मोबाइल में ये भी बहुत व्यस्त रहती है ।  समय की इसी आपाधापी से हम अपने काम करने की तीक्ष्णता को खो देते हैं।


          हमारे आस-पास मनोरंजन के कई साधन उपलब्ध हैं मोबाइल, टेलीविज़न से सिनेमा इत्यादि तक ये सभी तात्कालिक उपाय है।  परन्तु पर्यटन अपने आपको फिर से तोरोताजा और अपनों को एक सूत्र में  बांधने का दीर्घकालिक और बहुत ही कारगर तरिका है।  आप को याद होगा कई बार हम कुछ हिसाब करते वक्त एक ही गलती बार बार दोहराते है और हमारा हिसाब नहीं मितला पर कुछ देर वहाँ से ध्यान कही और हटते ही याद आ जाता है की गलती कहाँ हो रही थी। इसी तरह बार बार एक ही दिनचर्या से हमारी कार्यक्षमता कम होती जाती है और सालाना या छः माह में एक बार कुछ दिनों की यात्रा हमे हर्षित करते हुए हमारी कार्य दक्षता बढाती है। जब आप अपने परिवार, रिश्तेदार या दोस्तों के संग कही समय व्यतीत करते हैं तो आप केवल मनोरजीत ना हो कर आप अपनों को बेहतर ढंग से समझने  का भी अवसर प्राप्त करते है। 


          पर्यटन करने को हमारा शास्त्र और विज्ञान दोनों कहते है कई बार तो डॉक्टर भी अच्छी सेहत के लिए सलाह देते है की किसी हिल स्टेशन पर घूम आओ।  भ्रमण या यात्रा एक बहुत ही जरुरी एवं सरल उपाय है अपने आप को ऊर्जावान और सकारात्मक बनाने का। एक समय था जब मैं खुद अपने काम में व्यस्त होता तो सोचता की ये पर्यावरण, रमणीय पर्यटन क्या होता है बस पेड़, पहाड़, पानी का भ्रमण इससे क्या फर्क पड़ता है, पर आज जब मैंने खुद  मनोरम स्थलों की यात्रा करनी शुरू की तो समझ में आया की जीवन से भरे ये मनोरम दृश्य मेरे ह्रदय और जीवन पर अमिट छाप छोड़ रहे है।  हमारे ट्रेवेल गुरु श्री पी. एस. ज्ञानजी का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रूप से कथन है की, "पेड़ों और पहाड़ो के सानिध्य में आने से हम अपने जीवन से समाप्त हो चुके प्राणवायु यानी ऑक्सीज़न को पुनः प्राप्त कर अपनी आयु में कुछ और वर्ष जोड़ लेते है।" हकीकत है शहरों में बढ़ रहे प्रदूषण और रोजमर्रा के भीड़ भरे जीवन से दूर कही हिल स्टेशन पर जाने से हमारे अंदर के ऑक्सीज़न का स्तर बढ़ जाता है जो हम नए जीवन का अनुभव करता है।  

इसीलिए कहता हूँ 
" क्या मौसम है
ऐ दीवाने दिल 
चल कही दूर निकल जाये....... !"



          आप के हर सफर का हम सफर 



           



Sunday, 22 April 2018

आविष्कार The Invention

आप भी आविष्कार कर सकते है ! 

"आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है"  ये कहावत तो लगभग हम सबने सुनी है।  सच्चाई ये भी है, की हर अविष्कार के पीछे हमेशा आवश्यकता  ही नहीं बल्कि विचार होते है। हर अविष्कार विचारो की एक श्रृंखला  (The Chain of Thought) से उत्पन्न होते है, बात सुनने में तो बहुत छोटी है पर इसका गूढ़ बहुत गहरा है। पहले वैज्ञानिक गैलीलियो गैलीलि ने गुरुत्वाकर्षण के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किया की "कोई भी पिंड जब ऊपर से गिरता है तब वह एक नियत त्वरण से पृथ्वी की ओर आता है।" और इसी विचार की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए वैज्ञानिक आइज़क न्यूटन ने अपने विचार को शोध के रूप में दुनिया के सामने रखा की "केवल पृथ्वी ही नहीं, अपितु विश्व का प्रत्येक कण प्रत्येक दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है।" ऐसे ही हर खोज के पीछे विचारो की एक श्रृंखला कार्य करती है अब भी कोई नई कड़ी गुरुत्वाकर्षण के इस श्रृंखला  में जुड़ सकती है क्योकि कई विचारवंत शोधक इस दिशा में काम कर रहे हैं। आविष्कार करने के लिए एक सोच की आवश्यकता होती है। दाढ़ी बनाने के लिए पहले उस्तरे की खोज हुई फिर आया साधारण ब्लेड उसके बाद दो मुँहे ब्लेड अब ट्रिमर भी दाढ़ी बनाने का काम कर रहा है, सबसे पहले उस्तरे जैसे किसी वस्तु को बनाने का विचार संसार में आया फिर उस्तरा बनाया गया और ऐसे ही बारिस के छाता फिर रेनकोट, सब्जी कटाने को छुरी फिर कटर, मिक्सर, बैठने को कुर्सी फिर सोफ़ा आदि -आदि विचार आते गए और अविष्कार होते गए। 

संसार में मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो सोच सकता है और जिसकी सोच से अविष्कार होते है। ऊपर मैंने केवल दो ही उदाहरण दिए है किंतु अभी भी दुनिया में हज़ारो लाखों चीजे है जहाँ नित नए अविष्कारों को स्थान  है। किसी ज़माने में लोग विचार करते थे की बिना तार की वस्तु से बात करना संभव हो सकता है और सन १९७३ में  मोबाइल का अविष्कार हुआ। पिछले दो दशक में मोबाइल फोन और उसकी तकनीक में ज़मीन आसमान का अंतर आ गया।    पूर्ण एकाग्र चित्त हो कर विचार करने से ज्ञात होगा की अभी और कई चीजों का अविष्कार होना बाकी है जैसे की अभी लोग लगे है की पानी से कार कैसे चलाई जाय, प्रदुषण को रोकने के कारगर उपाय इत्यादि। अपनी सोच को व्यापक करे विचार आने दे, बस आपके विचारो की ताकत ही एक नए अविष्कार को  जन्म देगी। 


Saturday, 21 April 2018

हमारी शिक्षण व्यस्था!! शिक्षा या विद्या !

हमारी  शिक्षण व्यस्था 

शिक्षा या विद्या !


 शिक्षित होने और विद्या-वान होने में अंतर है।  आजकल हर माँ - पिता अपने बच्चों को शिक्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। शिक्षित होने के लिए महंगे से महंगे स्कूल में बच्चें भेजे जाते हैं। परंतु सच्चाई क्या है बच्चे केवल अक्षरी ज्ञान प्राप्त कर रहे है और कुछ नहीं।  केवल अक्षरी ज्ञान प्राप्त करने से बच्चों की  बौद्धिक क्षमता नहीं  बढाती।  जब तक शिक्षा का मकसद केवल  नौकरी पाना रहगा, तब तक समाज में केवल नौकर ही पैदा होंगे।हम पहले विद्यालयों में पढ़ा करते थे और अब केवल स्कूल ही बच गए है।  आज अंग्रेजी,  रोटी की भाष बन गई है इसीलिए हर माँ पिता चाहता है कीउनका बच्चा  केवल अंग्रेजी स्कूल में जाये। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की बच्चे की गुणवत्ता क्या रह जाएगी। आज भारत में अच्छी  से अच्छी नौकरी प्राप्त करने की होड़ लगी है, हर कोई नौकर बनना चाहता है क्योकि बच्चो ज्ञान ही ऐसा दिया जा रहा है।

 भारत में पहले गुरुकुल पद्धति हुआ करती थी।  'गुरुकुल' का शाब्दिक अर्थ है 'गुरु का परिवार' अथवा 'गुरु का वंश ' इन शब्दों से भी यह ज्ञात होता है. की एक अच्छे गुरु परिवार से एक विद्वान गुरु ही निकलते हैं वो चाहे उच्च कोटि का विद्वान् हो या बेहतरीन योद्धा या निपुण व्यापारी इत्यादि।  पहले अशिक्षित लोग ही नौकर हुआ करते थे। हमारी दोष पूर्ण शिक्षण पद्धति का ये परिणाम है, की  आजकल पढ़ लिख कर भी लोग नौकर  बनान चाहते है।  

मित्रो, अब समय आ गया है हमें हमारी  शिक्षण पद्धति पर विचार करने का उसमे उचित बदलाव करने का। 
वर्ष २०११ में  फालतू नाम की एक पिच्चर आई थी, जिसमें ये दिखाया गया था की किस तरह स्कूल, कॉलेज में फेल हुए बच्चे असल जिंदगी के पाठशाला में सफल हैं।  बस यही हमें भी अपने बच्चो को केवल शिक्षण नहीं  उनके योग्यता अनुसार उन्हें उनके क्षेत्र में प्रशिक्षण देने की शुरुआत करनी चाहिए। विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में अक्षरीय ज्ञान के साथ साथ क्रियात्मक ज्ञान देने की शुरुआत करनी चाहिए।क्रियात्मक ज्ञान से बच्चो की सोच में बदलाव आयेगा समाज को बुद्धजीवी लोग मिलेंगे। रूचि अनुसार क्रियात्मक ज्ञान बच्चो का  उच्च कोटि के व्यवसाइक बनाने में मदद करेगा। आजकल देखने को मिलता है की डॉक्टर या इंजिनियर बनाने के अलावा बच्चे वीडियो जॉकी, शेफ - होटल प्रबंधन, भाषा अनुवादक, खिलाडी इत्यादि जैसे क्षेत्रों में सफलता पूर्वक काम कर रहे है। बच्चों को उनकी रूचि अनुसार विद्यालयों में प्रशिक्षण दिया जायेगा तो उनका शिक्षण पूर्ण होते होते वे एक निपुण पेशेवर, व्यवसायी, लेखक और कलाकार आदि बन के अपना एवं समाज के उत्थान के लिए कार्य करेंगे।

Wednesday, 18 April 2018

Cheap Holiday Package


सफलता का आसान मार्ग Shortcuts of Success

                                                                                      !!श्री !!


सफलता के  आसान मार्ग 


सफलता का आसान मार्ग है सच्ची मेहनत।   
   

हाँ! ये बिलकुल सच है की सही दिशा में की गई सच्ची मेहनत ही आपकी सफलता का आसान मार्ग  है। ऐसे तो आम तौर पर हम सभी मेहनत करते है। किंतु क्या आपकी मेहनत सच्ची हैं और उसकी दिशा सही है ? यहाँ दिशा से मेरा मतलब पूरब पश्चिम या किसी वस्तुशास्त्र नहीं है। आपकी काम करने की लगन जो आपको कहीं चैन से बैठने नहीं देती वो कहते हैं ना , की 'सपने वो नहीं होते जो आप को नींद में आते है, बल्कि सपने वो होते हैं जो आप को सोने नहीं देते। हर इंसान में सफल होने के सभी गुण होते हैं , आज दुनिया में जो कोई व्यक्ति सफल है वो भी तो एक इंसान है अगर टाटा, अंबानी और बिल गेट्स सफल हो सकते है तो हम और आप क्यों नहीं बस सही सोच और उस दिशा में किये जाने वाले प्रयास सही होने चाहिए।  'परंतु कहानी में पेच ऐसा है की आप काम क्या और कहाँ कर रहे हैं, अगर  आप कहीं नौकरी कर रहें हैं और १० से १२ घंटे अपने ऑफिस में रहते हैं और सपने हैं, किसी फर्म के मालिक बनने का तो ये सुलभ नहीं। क्योकि आप के सोच और मेहनत विपरीत दिशा में काम कर रहे है।  आप को अपने नौकरी से समय निकल कर अपने खुद की योजना पर काम करना होगा, प्रतिदिन ना सही पर छुट्टी वाले दिन सही अपने सपनों की दिशा में काम करना होगा, लेकिन आप को मालिक भी बनना है और आप के पास वक्त भी नहीं, तो इसका मतलब हैं आप अपने प्रोजेक्ट के लिए गंभीर नहीं आप की मेहनत दिशा हीन हैं।  क्योकि आप मेहनत कर रहे है दुसरो के ऑफिस में, आपके किये काम उनको मुनाफा पहुंचा रहे हैं और रातो रात सपने में आप किसी बड़ी सी कंपनी का मालिक बनाना चाहते है जो की नामुमकिन है। आप को पहले तय करना होगा की आपको नौकरी में तरक्की चाहिए या अपना खुद का व्यवसाय।  दिन रात मेहनत कर आप नौकरी में तरक्की तो पा सकते है पर साथ ही अपना निजी व्यापार भी करना है तो अपने समय का सटीक उपयोग करना होगा जिसे अंग्रेजी में  Time Management कहते है। आपको ऑफिस और व्यापार के बीच समय का तालमेल बैठा कर चलना होगा। लेकिन आप सिर्फ व्यापार ही कर रहे है उसमे सफलता नहीं मिल रही तो आप की दिशा गतल है।

 यहाँ ध्यान देनीवाली बात ये है की आप जिस भी क्षेत्र में है या जाना चाहत है क्या आपको उसकी जानकारी है अगर नहीं तो आजकल इंटरनेट और गूगल द्वारा कोई भी जानकारी अर्जित की जा सकती है।मान लीजिये आप कोई मोबाईल की दुकान खोलना चाहते है आप गूगल पर हर किस्म और ब्रांड के  मोबाइल  की जानकारी प्राप्त कर सकते है साथ ही उन कंपनियों के वेब साइट से उनकी ईमेल प्राप्त कर उन्हें अपने रिटेल बिज़नेस में सहयोग का निवेदन कर सकते हो। अपने दुकान का विज्ञापन भी इंटरनेट द्वारा कर सकते है।  आजकल यूट्यूब पर ऐसे बहुत से चैनल है जो आपको क्या और कैसे दोनों ही ज्ञान देते है। केवल दुकान खोल के बैठने से कुछ नहीं होगा आप को अपने हर प्रोडक्ट की जानकारी रखनी होगी और अपने ग्राहक को उनके पैसो की पूरी कीमत देनी होगी। एक प्रसन्न ग्राहक दस ग्राहक लाता है और एक नाराज ग्राहक सौ ग्राहक बिगड़ता है, इसीलिए आपकी सर्विस बेहतरी होनी चाहिए।  इन सब के साथ आपको अपने बाजार में हो रहे बदलाव पर भी नजर रखनी होगी, आने वाले नए प्रोडक्ट, दाम के बदलाव, आपके प्रतियोगी और बहुत कुछ।  ये तो एक व्यापार का छोटा सा उदाहरण था। इसी तरह आपको जिस भी क्षेत्र में जाना है पहले उसकी जानकारी जरूर ले, फिर विचार करे और तब आगे बढे।

आपकी सफलता में सही समय का भी एक बहुत बड़ा योगदान होता है।  कोई भी काम रातो रात नहीं हुआ करते समय लगता है आपके द्वारा किये गए कार्यो को फलने फूलने में। दुकान खोलली और महीने भर में आप सोचे की दुकान चल नहीं रही है मैं समय तो पूरा देता हूँ। कितना समय दिया आपने की बाजार में लोग आपको जाने, क्या आपने अपने ग्राहक को उनके समय पर सर्विस दी और उनके अच्छे बुरे सुझावों पर विचार किया? ऐसे बहुत से सवाल है जिनका समाधान समय के साथ ही किया जा सकता है।  चाहे कोई भी क्षेत्र हो समय पर किया गया काम उन्नति के रस्ते प्रशस्त करते हैं।

कई बार ऐसा भी होता भी होता है की आप मेहनत तो बहुत करते हो पर सफल नहीं होते, तब अपने आप से पूछो की क्या आपको इस काम में दिलचस्पी है या नहीं ? बहुत बार एक रोबोट की तरह हम दिन रात  काम में लगे रहते है पर जिसमे इच्छा की कोई जगह नहीं।  आपको जिस कार्य में मजा आता हो, जो काम आपके पसंद का हो ऐसे कार्य में आप हमेशा ही सफलता पाएंगे।  इंटरनेट तकनीक ने आजकल हर काम बहुत आसान कर दिया बस आपको अपनी हुनर पहचाननी है और शुरुआत करनी है , जैसे की आप बहुत अच्छा नाच सकते है या खाना बना सकते है या एक्टिंग करना आपकी पसंद रही है। आपको अपने किसी भी काम को सिद्ध करने के लिए इंटरनेट एक बहुत बड़ा वरदान है आप अपने हुनर का विडिओ बना कर यूट्यूब (YouTube ) पर डाल सकते हैं, आप अपना  नुसखा / रेसिपी अपने ब्लॉगर पर लिख सकते हो। आजकल  यूट्यूब, ब्लॉगर और ऐसे कई माध्यम आपको अपनी रूचि का काम में धन भी अर्जित करने में सहायक है और आप यकीन मानिये अगर आप का कोई  भी वीडियो या लेखा लोगो को पसंद आया और वायरल हो गया तो आप को हज़ारो, लाखो कमाते देर नहीं लगेगी।  दोस्तों जब आप अपनी पसंद का काम करते हो तो उसमे अपने आप आपका मन लग जाता है और आप अपना सर्वोत्तम हुनर दुनिया के सामने रखते हो और सर्वोत्तम कार्य को हर कोई सराहता है और भले थोड़ी जल्दी या देर से कामयाबी जरूर मिलती है।

आप किसी भी क्षेत्र में कोई भी कार्य करे अगर आप अपना सत प्रतिशत योगदान पुरे दिल और दिमाग से देते है तो आप एक सौ एक प्रतिशत  सफल होते है।

धन्यवाद
आपका -कॉम्बो गुरूजी

अगर मेरे ब्लॉग पसंद तो कमेंट जरूर करियेगा और यदि  आप किसी भी कार्य के विषय में जानकारी चाहते है तो कमेंट बॉक्स में मुझे लिखियेगा।